tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post636586947935896516..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: एलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है?..........घुघूती बासूतीghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-83702252885181192762009-12-22T16:47:10.145+05:302009-12-22T16:47:10.145+05:30भय हिंसक वृत्ति का दमन करता है?!
शायद भय ही क्रोध...भय हिंसक वृत्ति का दमन करता है?! <br />शायद भय ही क्रोध और हिंसा के मूल में है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-92196376937641869352009-12-19T06:54:19.244+05:302009-12-19T06:54:19.244+05:30क्रोध का दावानल सब कुछ लील जाता है ....बहुत ही भया...क्रोध का दावानल सब कुछ लील जाता है ....बहुत ही भयावह स्थिति है समाज की ...स्नेही जनों और करीबी रिश्तेदारों के बीच भी वृद्धों के लिए हमेशा सुखद स्थिति हो ...आवश्यक नहीं ...कितने ही किस्से सुने और देखे हैं ...अनुपयोगी हो गए वृद्धों की संपत्ति हासिल करने के बाद उन्हें राह से हटाने के ....वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-20399774493682932992009-12-18T15:41:04.787+05:302009-12-18T15:41:04.787+05:30भारत में तो कानून की अक्षमता इसके लिये दोषी है. इस...भारत में तो कानून की अक्षमता इसके लिये दोषी है. इस तरह के व्यक्ति को छ: माह के अन्दर फांसी दे दी जाये देखिये क्या असर होता है. लेकिन ऐसा भारत में हो ही नहीं सकता.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-17793042600201784282009-12-18T14:11:34.389+05:302009-12-18T14:11:34.389+05:30मुझे लगता है कि गुस्से को शांत करने के लिए एक दूसर...मुझे लगता है कि गुस्से को शांत करने के लिए एक दूसरे की मदद की ज़रूरत होती हैं। जब एक गुस्से में हो दूसरा शांत करवाए। कई बार एक गुस्से में होता है दूसरे का अलग हो जाना या फिर और ज़्यादा गुस्सा हो जाना बात को बिगाड़ देता हैं। आपकी पोस्ट का हल आप ही कुछ समय पहले लिख चुकी हैं। बचपन से ही इंसान को शिष्टाचार और संयम देने की सलाहवाले लेख के ज़रिए।Diptihttps://www.blogger.com/profile/18360887128584911771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-74552518170716539902009-12-18T13:20:26.178+05:302009-12-18T13:20:26.178+05:30बहुत ही दुखद है,गुस्से में आदमी वह गुनाह कर बैठता ...बहुत ही दुखद है,गुस्से में आदमी वह गुनाह कर बैठता है...जिसे बाद में कितना भी पछताए ठीक नहीं किया जा सकता.....फिर भी कहूँगी...सबको इतना गुस्सा नहीं आता...हाँ कुछ लोगों को भी ऐसा भयावह गुस्सा क्यूँ आता है,यह विचारणीय है.<br />अलबर्ट पिंटो का गुस्सा तो हार्मलेस था और कोई भी विसंगति देख आ जाता था.प्रसंगवश एक डायलोग का उल्लेख करना चाहूंगी...जिस पर बहुत हंसी हूँ,स्कूटर पर पीछे शबाना आजमी स्कर्ट पहने बैठी हैं,और नसीरुद्दीन शाह कहते हैं,"क्यूँ पहना स्कर्ट...अक्खा बम्बई तुम्हारा लेग देखता":Drashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-72821059632149428682009-12-18T11:55:43.156+05:302009-12-18T11:55:43.156+05:30क्या कहें?????क्या कहें?????अन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-74264933939563976532009-12-18T08:52:39.570+05:302009-12-18T08:52:39.570+05:30मनुष्य शायद एक हिंसक प्राणी ही है और समाज व कानून ...<i>मनुष्य शायद एक हिंसक प्राणी ही है और समाज व कानून का भय ही उसे भद्र बनाता है। यह भय खत्म हुआ या उस भय को वह भुला बैठा तो अपने वास्तविक हिंसक स्वरूप में आ जाता है। </i><br /><br />सौ बातो की एक बातकुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-10887082270097518662009-12-18T08:43:42.329+05:302009-12-18T08:43:42.329+05:30आपने जिन घटनाओं का उल्लेख किया है मुझे तो वे गुस्स...आपने जिन घटनाओं का उल्लेख किया है मुझे तो वे गुस्से से नहीं बल्कि मानसिक विकृति से सम्बन्धित प्रतीत होते हैं। यद्यपि गुस्सा और मानसिक विकृति में बहुत अन्तर है किन्तु दोनों एक दूसरे के पूरक भी हैं।<br /><br />आपके इस पोस्ट को पढ़ कर श्री रामचन्द्र शुक्ल जी के लेख "क्रोध" की याद आ गई। बहुत ही सुन्दर व्याख्या की है क्रोध की उस लेख में शुक्ल जी ने!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-43374763923693202452009-12-18T06:50:01.754+05:302009-12-18T06:50:01.754+05:30न जाने कैसा समाज हो गया है । जो घट रहा है वह इसी स...न जाने कैसा समाज हो गया है । जो घट रहा है वह इसी समाज का ही चित्र है न ! <br /><br />यद्यपि यह बात भी है कि यदि वे अपने परिवार के स्नेह के मध्य रहतीं तो शायद इस प्रकार का चिन्तन नहीं विकसित होता कि किसी का गला ही घोंट दिया जाय कुछ क्षुद्र कारणॊं से । उपेक्षा बड़ी चीज है, जो हमें निरीह और हिंसक दोनों बनाती है ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-3217600092873441912009-12-18T06:22:39.108+05:302009-12-18T06:22:39.108+05:30सभ्यता एक खुशफहमी है.
दरसल समाज गलत ढंग से, शॉर्ट्...सभ्यता एक खुशफहमी है.<br />दरसल समाज गलत ढंग से, शॉर्ट्कट से सभ्य होना चाह रहा है. बिना अपनी मौलिक इकाई , व्यक्ति को सभ्य होने का मौका दिए. नतीजतन जितनी भी सभ्यता आज तक वह ओढ़ पाया है, ऐसी एक ही घटना उस पाखंड को उघाड कर रख देती है.... <br />डर, और डंडे के ज़ोर से सभ्यता नहीं लयी जा सकती. गलती यहीं हो रही है. <br />cmpershaad ji ne बात की जड़ तक पहुँचने का प्रयास किया है.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-51472849072440047132009-12-18T00:54:09.725+05:302009-12-18T00:54:09.725+05:30विचारणीय पोस्ट लिखी है....विचारणीय पोस्ट लिखी है....परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-18500179280442495292009-12-18T00:11:49.353+05:302009-12-18T00:11:49.353+05:30यह मनुष्य होने का उन्माद है ।यह मनुष्य होने का उन्माद है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-17964946838616661842009-12-17T23:53:36.738+05:302009-12-17T23:53:36.738+05:30सोचनीय बात। विचारोत्तेजक पोस्ट!सोचनीय बात। विचारोत्तेजक पोस्ट!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-67844514878757744082009-12-17T23:31:01.285+05:302009-12-17T23:31:01.285+05:30शायद भय ही लगाम लगाता हो ऐसी घटना को आम होने से..ऐ...शायद भय ही लगाम लगाता हो ऐसी घटना को आम होने से..ऐसे में इस भय की मात्रा बढ़ाना होगी.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-23353793420441644592009-12-17T23:02:29.649+05:302009-12-17T23:02:29.649+05:30उफ़्फ़ ...! य घटनाएं बता रही हैं कि समाज कितना घातक ...<i>उफ़्फ़ ...! य घटनाएं बता रही हैं कि समाज कितना घातक हो रहा है ,....सच कहूं तो आत्मघाती ...हो रहा है ..इस घटना तो ये भ्रम भी दूर कर दिया कि उम्र के अनुसार ऐसा होता है </i>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-37206227202930250342009-12-17T23:01:15.304+05:302009-12-17T23:01:15.304+05:30" अब यदि हम किसी से नाराज होना चाहें तो हजार ..." अब यदि हम किसी से नाराज होना चाहें तो हजार कारण ढूँढ सकते हैं। "<br /><br />वही तो, अब पिंटो को गुस्सा इसलिए आ रहा है कि आज के बच्चे नालायक हैं और बुज़ुर्गों को हत्या करने के लिए छॊड देते हैं :(चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-73151211465283942512009-12-17T22:38:33.361+05:302009-12-17T22:38:33.361+05:30भयावह !भयावह !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-89720812049150576262009-12-17T22:14:25.476+05:302009-12-17T22:14:25.476+05:30बहुत ही पीड़ादायक घटनाएँ। मनुष्य का निर्माण उस के ...बहुत ही पीड़ादायक घटनाएँ। मनुष्य का निर्माण उस के समाज में होता है। शायद समाज यही सिखा रहा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com