tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post5343875415380013736..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: ड्रेस कोड: शुभ्र श्वेत सलवार कुर्ता!ghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger38125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-940887642759075702009-11-21T09:52:40.289+05:302009-11-21T09:52:40.289+05:30This comment has been removed by a blog administrator.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-71211577961530403622009-06-29T16:37:53.695+05:302009-06-29T16:37:53.695+05:30अजी मै तो आपके साथ हूँ अगर एक सा ड्रेस कोद हो गया ...अजी मै तो आपके साथ हूँ अगर एक सा ड्रेस कोद हो गया तो ये भी हो सकता है कि धोती कुर्ता ही सब के लिये हो तो कैसी रहेगी हा हा हानिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-67776923492885877062009-06-26T14:39:06.412+05:302009-06-26T14:39:06.412+05:30"आपरूप भोजन और पररूप श्रृंगार"
इसमें &#..."आपरूप भोजन और पररूप श्रृंगार"<br /><br />इसमें 'पररूप' की समझ ही सबसे बड़ी बात है। लोगों की सहनशीलता की हद में वस्त्र चुनाव करना चाहिए। आजकल टेलिविजन के सामने ज्यादा समय बिताने से (और भी माध्यम हैं) इसका निर्णय करना कठिन हो गया है। जब ज्यादा लोग साथ में गल्ती करने लगते हैं तो तात्कालिक अंकुश जरूरी हो जाता है।Suresh Kumar Shuklahttps://www.blogger.com/profile/05394524544849265309noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-91874880444496066342009-06-25T12:01:02.432+05:302009-06-25T12:01:02.432+05:30आपकी बातों से पूर्णतया सहमत. मेरे अनुसार ड्रेस कोड...आपकी बातों से पूर्णतया सहमत. मेरे अनुसार ड्रेस कोड हर संस्थानों में होना चाहिए (चाहे वो शिक्षण-संस्थान हो अथवा कोई कार्यालय). कपडे पहनने कि आजादी सबको है, लड़को को भी और लड़कियों को भी. पर बात तब बहस का मुद्दा बनती है जब वही कपडे अश्लील लगने लगते है. मैं सिर्फ धोती-कुरता (पुरुषों के लिए) और सलवार-कुर्ती (लड़कियों के लिए) कि ही तरफदारी नहीं करूँगा. बल्कि मैं हर उन कपड़ो के पक्ष में हूँ जिनमें सुन्दरता बढती है न कि दिखती हो. लड़कियों के लिए जींस बिलकुल भी बुरा नहीं है, पर अगर वक सलीके से पहना जाये. कभी JNU campus, Delhi घूम कर आईये, लडकियां जींस में नजर आएँगी पर साथ में टी-शर्ट कि बजाय एक लम्बा कुरता होता है जो सभ्य और सुन्दर दीखता है.<br />खैर अगर सिर्फ बहस करने पर आये तो ये बहस शायद मेरी उम्र तक ख़तम न हो. बस बात सीधी सी है कि किसी भी संस्थानों में ड्रेस-कोड लागु होना चाहिए और इसका विरोध नहीं होना चाहिए...<br /><br />अपने ब्लॉग पर भी आपकी दस्तक चाहूँगा...Crazy Codeshttps://www.blogger.com/profile/13403617601253452747noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-23889095253645299172009-06-24T12:24:14.563+05:302009-06-24T12:24:14.563+05:30हमारे प्रदेश की बहनजी ने तो महाविद्यालयों के प्राच...हमारे प्रदेश की बहनजी ने तो महाविद्यालयों के प्राचार्यों को ड्रेस कोड मामले में हड़का दिया | पीड़ित पक्ष पर नियम लादना अनुचित | कहा जिसने ऐसे नियम लागू करने की कोशिश की तो कार्रवाई होगी |aflatoonhttp://shaishav.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-59882189694195488222009-06-24T02:46:52.579+05:302009-06-24T02:46:52.579+05:30जाहिर है यहाँ आने वाले ज्यादातर लोग आपकी पोस्ट से ...जाहिर है यहाँ आने वाले ज्यादातर लोग आपकी पोस्ट से सहमत होंगे। पोस्ट और टिप्पणियाँ दोनों मजेदार हैं। खास तौर पर लड़कों के लिए धोति कुर्ता का सुझाव और लड़कों के लिए ऐसे ड्रेस का सुझाव जिससे उनमें कुत्सित भावनाएं उत्पन्न ही ना हो !!<br />ये सुझाव मजेदार तो हैं लेकिन पहले ही अपनाए जा चके हैं। मुझे लगता है कि ज्यादातर लोगों ने ध्यान नहीं दिया कि तालिबान स्त्री और पुरूष दोनों के लिए ड्रेस कोड लागु कर चुके हैं। आप ने किसी भी तालीबानी को चुस्त कपड़ों या घुटनों से ऊपर के कपड़ों में नहीं देखा होगा। अगर टिप्पणीकारों के सुझावों का आशय यह है कि पुरूष और स्त्री दोनों को एक ही तरह का कपड़ा पहनाया जाए तो फिर ये और भी मजेदार सुझाव है।<br />कुछ लोग की राय है कि लड़कियाँ ड्रेस कोड के लिए तैयार हैं गर लड़के भी तैयार हों !! यानि लड़कियाँ कुएं में छलाँग मारने को तैयार हैं बशर्ते लड़के को भी ढकेला जाए।<br />मुझे तो कोई ड्रेस कोड नहीं चाहिए । न अपने लिए न लड़कियों के लिए !! किसी भी शर्त पर नहीं चाहिए ।<br />आखिरी बात, घुघूती बासूती को अर्थ बता दें तो हमारी जिज्ञासा का समाधान हो जाए ?Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-71060029544435914142009-06-24T02:43:51.542+05:302009-06-24T02:43:51.542+05:30This comment has been removed by the author.Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-14646122517841357722009-06-23T17:23:13.000+05:302009-06-23T17:23:13.000+05:30Sahmat hun aapse....Sahmat hun aapse....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-56375808052189770652009-06-23T16:54:22.617+05:302009-06-23T16:54:22.617+05:30ड्रेस कोड विद्यालय स्तर तक ठीक है, भेदभाव किये बिन...ड्रेस कोड विद्यालय स्तर तक ठीक है, भेदभाव किये बिना । बाकी अब ऐसा समय आ गया है कि समाज यह निर्धारित नहीं कर पायेगा कि किसको क्या पहनना है । हां, तालिबान या उसके विभिन्न सन्स्करण सत्ता में आ जायें तो बात अलग है । सारी रोक महिलाओं को लेकर है । लेकिन जैसे-जैसे महिलायें भेदभाव सहना इन्कार कर देंगी ड्रेस कोड वगैरह नहीं चलने वाला ।<br /><br />शायद कुछ दिन बाद इस विषय पर हम बहस करते नजर आयें कि यदि कोई कुछ न पहनना चाहे तो वह इसके लिये स्वतन्त्र है कि नहीं ।अर्कजेशhttps://www.blogger.com/profile/11173182509440667769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-88848202158713456632009-06-23T16:30:05.643+05:302009-06-23T16:30:05.643+05:30ड्रेस कोड की बात अगर शिक्षण संस्थानों तक सीमित है ...ड्रेस कोड की बात अगर शिक्षण संस्थानों तक सीमित है तो यह सबके लिए लागू होना चाहिए. हाँ, यह बात ज़रूर है कि जो जितना दबता है, उसे ही दबाया जाता है. इस बात का विरोध करना ही चाहिए. सबको करना चाहिए. केवल ड्रेस कोड के मामले में ही नहीं, हर मामले में.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-15962720154146745102009-06-23T15:16:47.664+05:302009-06-23T15:16:47.664+05:30Kashif Arif का प्रश्न भी ठीक है कि
जब दिखते ज़िस्...Kashif Arif का प्रश्न भी ठीक है कि<br /><br /><i>जब दिखते ज़िस्म को गौर से देखो तो छोटे कपडें को खिचं कर बडा करने की कोशिश करती है ऐसा क्यौं? जब शर्म आती है तो ऐसा कपडा पहनते ही क्यौं हो?</i><br /><br />वाकई में ऐसा होता भी है और यह प्रश्न घुमड़ता है फिरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-45466550222846926952009-06-23T14:05:12.429+05:302009-06-23T14:05:12.429+05:30मैं आपकी बात से सहमत हुं ड्रेस कोड दोनो के लिये हो...मैं आपकी बात से सहमत हुं ड्रेस कोड दोनो के लिये होना चाहिये। आगरा के सेण्ट जौंस कालेज मे जब हम पढते थे तो ड्रेस कोड नही थ लेकिन हमारा आखिरी साल पुरा होते ही वहां ड्रेस कोड लागु हो गया जो दोनो के लिये था।<br /><br />एक बात मैं कहना चाहुंगा की अगर ड्रेस कोड ना हो तो अश्लिलता की ज़द मे आने वाले कपडे लडकियां ही पहनती हैं पता नही अपना ज़िस्म दिखाने मे उन्हे क्या मज़ा आता है?<br /><br />लेकिन जब दिखते ज़िस्म को गौर से देखो तो छोटे कपडें को खिचं कर बडा करने की कोशिश करती है ऐसा क्यौं? जब शर्म आती है तो ऐसा कपडा पहनते ही क्यौं हो?काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttps://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-92176617183768992112009-06-23T13:37:09.808+05:302009-06-23T13:37:09.808+05:30बिल्कुल सही कहा ..बिल्कुल सही कहा ..anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-17965546235347120792009-06-23T12:11:34.887+05:302009-06-23T12:11:34.887+05:30मैने इसी आलेख पर असी ही टिप्पणी दी थी और आपने bilk...मैने इसी आलेख पर असी ही टिप्पणी दी थी और आपने bilkul shi कहा jb kadkiyo का dress cod है toldko का क्यों nhi और जो dress भी nirdharit की है वो भी bilkul shi है .पर anilji की बात भी mhtv purn है की जब 14 sal तक school dres phni तो ky a हुआ ? kul milakar jab tak mansikta nhi bdlegi,mhilao ko dekhne ka nariya nhi bdlega dress se code se kuch nhi hoga .ak bat aur yha khna chahungi ki chedchad krne vale bhi adhiktar vhi hote hai jinke ghar me bahane bhi hoti hai aur vo bhno par dhake kpde phnne ka alai karte hai .शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-88762990907648954812009-06-23T09:56:17.239+05:302009-06-23T09:56:17.239+05:30कल मेरे घर में भी इसी विषय पर चर्चा चल रही थी तब त...कल मेरे घर में भी इसी विषय पर चर्चा चल रही थी तब तक आपका यह पोस्ट पढ़ने को मिला। बहुत अच्छा लगा। आपका प्रश्न जायज है।<br /><br />पहले तो यह समाज अपने देखने का नजरिया बदले। लड़का हो या लड़की दोनो को एक ही नजरिये से देखे।<br /><br />सिर्फ ड्रेश कोड लागू हो जाने से मानसिकता नही बदल जाती। जब तक हमारे समाज में इस मानसिकता के लोग है तब तक भ्रूण हत्या पर भी रोक नही लगायी जा सकती।रचना त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/12447137636169421362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-50022926851351938882009-06-23T09:51:38.114+05:302009-06-23T09:51:38.114+05:30यहाँ अमरीका मेँ
ओपरा वीनफ्री इनाम देती है
(जब भी...यहाँ अमरीका मेँ <br />ओपरा वीनफ्री इनाम देती है <br />(जब भी कोई स्त्री<br /> किसी पुराने शोषण करनेवाले को पकडवाती है ) <br />शायद आपने भी सुना / देखा होगा <br />मगर,<br /> विस्मय इसी बात का होता है कि, ऐसे धृणित काम करनेवाले की मनोवैज्ञानिक जाँच पडताल या मूल कारण की कोई बात नहीँ करता -<br /> <br />स्त्री या पुरुष जो भी ऐसे बुरे काम करता है,<br /> वो उन्हीँ के<br /> बीमार मानस की उपज है ..<br />बाकि, <br />कपडे या माहौल को कारण बतलाना ,<br /> महज <br />वाद विवाद का विषय रहेगा ..<br />इन्सान ना जाने कब <br />सही अर्थोँ मेँ <br />"सभ्य, सुसँस्क़ृत "<br /> बन पायेगा ? <br />क्या पता ?...<br />शायद ..<br />अभी कुछ वर्षोँ मेँ तो ये होना असम्भव - सा लगता है <br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-25900473557945864162009-06-23T09:36:18.492+05:302009-06-23T09:36:18.492+05:30जो दबता है उसे ही दबाया जाता है. बिलकुल सही.
छेड़...जो दबता है उसे ही दबाया जाता है. बिलकुल सही. <br /><br />छेड़छाड़ और बलात्कार बूर्के पहनने वालियों के साथ भी होते है. और उन देशों में कम होते हैं जिन्हे अविकसीत कहा जाता है और महिलाएं उपरी भाग में कुछ नहीं पहनती. सारा मामला दीमागी है, आँखों को दोष देना बेकार है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-6807236902097515642009-06-23T09:22:57.636+05:302009-06-23T09:22:57.636+05:30इतने पचड़े हो रहे हैं सिर्फ़ एक कपड़े के रंग और तरीके...इतने पचड़े हो रहे हैं सिर्फ़ एक कपड़े के रंग और तरीके को लेकर. क्यों न हम प्री-वैदिक काल मे शिफ्ट कर जायें. हमारी असल संस्कृति तो वही है..... ??? <br /><br />Grrrrrrrrrकौतुक रमणhttps://www.blogger.com/profile/16041471462244478785noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-29412911137214085702009-06-23T08:31:12.667+05:302009-06-23T08:31:12.667+05:30के जी के दो और हायर सेकेंडरी के बारह यानी चौदह साल...के जी के दो और हायर सेकेंडरी के बारह यानी चौदह साल तक़ जो ड्रेस कोड का पालन करके भी नही समझता वो कालेज के कुछ सालों मे क्या समझेगा।अब तो ड्रेस कोड वाले स्कूलों मे भी छेड़छाड़ के किस्से सुनन्रे मिल जाते है।ड्रेस कोड़ या कपड़ो को कोसने से कुछ होने वाला नही रावण तो अपहरण करेगा ही।ये तो बीमार मानसिकता का सवाल है।बहुत अच्छा लिखा आपने घुघूती जी।आभार आपका।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-32727560483812580972009-06-23T05:28:08.880+05:302009-06-23T05:28:08.880+05:30बिल्कुल सही कहा यदि लड़के लड़की में बिना भेद किए ड्र...बिल्कुल सही कहा यदि लड़के लड़की में बिना भेद किए ड्रेस कोड लगाया जाता है तो फिर कैसी आपत्ति. तब तो अच्छा ही है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-71215665567104983362009-06-23T00:49:52.307+05:302009-06-23T00:49:52.307+05:30जिस देश में लोग वर्दी निर्धारित करना चाहते हैं, उस...जिस देश में लोग वर्दी निर्धारित करना चाहते हैं, उसे देश के लोग ज़रा अपने देवी और देवियों की तसवीरें और मूर्तियाँ ज़रा निहार लें. आज की नारी आधी से ज्यादा देवियों से ज्यादा ही कपड़े पहनती होंगी. <br /><br />अगर ईमानदारी से मैं अपनी किशोरावस्था याद करुँ, तो उस समय सलवार कुरता, साड़ी, या बुर्के के लड़की की कल्पना से ही मन मचल जाता था. मतलब ये की वो उम्र ऐसी थी की बस.... वर्दी वगै़रह का कोई मतलब नहीं था. <br /><br />और फिर इस नज़र से देखा जाए तो उन देशों मैं सबसे कम बलात्कार होने चाहिए, जहाँ बुरका पहनती हैं औरतें? जब अपनी जवानी बेकाबू हो, समाज के नियम कानूनों की परवाह न हो और औरतों के लिए इज्ज़त न हो तो कपड़ों पर दोष देना सबसे आसान होता है. <br /><br />मुझे अब ये जाने की बड़ी इच्छा हो रही है की घर मैं काम करने वाली नौकरानियां कितने उघारू कपड़े पहनती होंगी, क्यूंकि वे बलात्कार की शिकार अक्सर होती हैं. मेरा मन कहता है शाइनी आहूजा की नौकरानी राखी सावंत की तरह सज कर आती होगी, पक्का, और इस चक्कर मैं उनके पजामे का नाड़ा ढीला पड़ गया होगा. उस कामवाली को ही सजा दे देनी चाहिए. <br /><br />बाकी, घुघूती जी आप तो खैर लिखती जबरदस्त हैं ही. मैं आपको अक्सर गूगल रीडर मैं पढ़ता हूँ, ज़रा अपनी पूरी फीड उपलब्ध करा दें तो बड़ी कृपा होगी.Raaghttps://www.blogger.com/profile/17899437600804420902noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-11651554004642065972009-06-22T23:27:11.489+05:302009-06-22T23:27:11.489+05:30'क्योंकि वस्त्र ही छेड़छाड़ व बलात्कार का मुख्...'क्योंकि वस्त्र ही छेड़छाड़ व बलात्कार का मुख्य कारण हैं।' हाँ जी बात तो सही है... सारा दोष तो कपडों का ही है. करने वाले तो निहायती शरीफ होते हैं जी. मर्डर करने वाले के क्या दोष चलती तो गोली है. गोली को चढा दो फांसी. जब सारा दोष कपडों का है तो लोग कपडे खरीद के उसे क्यों नहीं छेड़ते...?Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-36742947648877961652009-06-22T22:21:37.355+05:302009-06-22T22:21:37.355+05:30shee kha aapne .shee kha aapne .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-52581703007948298172009-06-22T22:07:34.425+05:302009-06-22T22:07:34.425+05:30लड़के लड़कियों की एक ही जैसी ड्रेस क्यों नहीं? चोग...लड़के लड़कियों की एक ही जैसी ड्रेस क्यों नहीं? चोगा टाइप। रजनीश आश्रम जैसा कुछ कुछ। <br /><br />भले उसके लिए फैशन डिजाइनर्स की प्रतियोगिता करा डालो। सारा झमेला खत्म। देखने से भी लगेंगे - पढ़वइये हैं।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-8169100244976231792009-06-22T21:27:59.021+05:302009-06-22T21:27:59.021+05:30सफ़ेद ड्रेस को देखकर एक लड़के ने कमेन्ट किया बेचार...सफ़ेद ड्रेस को देखकर एक लड़के ने कमेन्ट किया बेचारी इतनी सी उम्र में विधवा हो गयी लड़की तुनक कर बोली क्या करे सब लड़के जो मर गए . यह एक वाकया जिसका मैं चश्मदीद गवाह हूँdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com