tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post451621229108943083..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: क्या हम प्यार के शत्रु हैं?ghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-22958235704307314092010-07-21T08:23:28.856+05:302010-07-21T08:23:28.856+05:30आज दिनांक 21 जुलाई 2010 के दैनिक जनसत्ता में संपा...आज दिनांक 21 जुलाई 2010 के दैनिक जनसत्ता में संपादकीय पेज 6 पर समांतर स्तंभ में आपकी यह पोस्ट प्यार के दुश्मन शीर्षक से प्रकाशित हुई है, बधाई। स्कैनबिम्ब देखने के लिए <a href="http://www.jansattaraipur.com/" rel="nofollow">जनसत्ता</a> पर क्लिक कर सकते हैं। कोई कठिनाई आने पर मुझसे संपर्क कर लें।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-89371015501601344122010-07-11T18:15:59.302+05:302010-07-11T18:15:59.302+05:30सच ही लिखा है आपने।सच ही लिखा है आपने।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-33312764534558274452010-07-05T22:15:14.126+05:302010-07-05T22:15:14.126+05:30संगीता जी सही कह रही हैं अत्याचार तब भी होता था मग...संगीता जी सही कह रही हैं अत्याचार तब भी होता था मगर सब जान नही पाते थे। आज भी होरहा है मगर सब जान जाते हैं\ असल मे जीवन के हर क्षेत्र मे इन्सान अपनी इन्सानियत खोता जा रहा है जब हर मसले पर गिरावट आयी है तो ये मसला भी और नीचता क्रूरता की हद तक चला गया है। समाज के लिये दुर्भाग्यपूर्ण स्थिती है। आभार।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-86667733649460421712010-07-04T08:49:07.299+05:302010-07-04T08:49:07.299+05:30समस्या को सम्पूर्णता में समझे बिना अविवेक पूर्ण वक...समस्या को सम्पूर्णता में समझे बिना अविवेक पूर्ण वक्तव्य।कार्तिकnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-83541284688660290432010-07-03T16:52:04.641+05:302010-07-03T16:52:04.641+05:30दुर्भाग्यपूर्ण ।दुर्भाग्यपूर्ण ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-30456285921958614152010-07-03T03:07:30.746+05:302010-07-03T03:07:30.746+05:30लेख बहुत अच्छा है. हम शायद अभी इस समस्या की गंभीरत...लेख बहुत अच्छा है. हम शायद अभी इस समस्या की गंभीरता को ठीक तरह से समझे नहीं हैं. खाप मनोवृत्ति वाले ७० के दशक में भी नहीं मानते थे और न ८०-९० में. हाँ तब परिस्थितियाँ भिन्न थीं. बाल विवाह भी होते थे और साथ ही बहुत से क्षेत्रों का आज सरीखा नगरीकरण भी नहीं हुआ था. गाँवों में हिंसक परिवारों/पंचायतों का विरोध करने के बजाय बच्चे आत्महत्या या समझौता कर लेते थे. खापों/ महापंचायतों की ज्यादती की कथाएं तब भी यदा-कदा सुनने में आ जाती थीं.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-26843086789501858642010-07-03T00:30:28.202+05:302010-07-03T00:30:28.202+05:30आज की ज्वलंत समस्या है....शायद यह सब पहले भी होता ...आज की ज्वलंत समस्या है....शायद यह सब पहले भी होता हो लेकिन आज मीडिया की वजह से हर बात की जानकारी होती है...और अफ़सोस होता है ऐसी मानसिकता पर...लेकिन आज प्यार भी बस स्वार्थ पर ही टिका है...भाटिया जी की बातों पर भी गौर किया जाना चाहिए.संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-90154799901891304042010-07-02T22:19:53.855+05:302010-07-02T22:19:53.855+05:30मैं पंचायतों की बात से तो सहमत नहीं, लेकिन ममेरे, ...मैं पंचायतों की बात से तो सहमत नहीं, लेकिन ममेरे, फुफेरे, चचेरे भाई-बहनों के रिश्तों के अन्दर शादी को उचित नहीं समझता... भाटिया जी की बात भी उचित है..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-90149329214207791292010-07-02T21:20:01.788+05:302010-07-02T21:20:01.788+05:30ये कैसी मानसिकता जन्म ले रही है ७० के दशक के पहले ...ये कैसी मानसिकता जन्म ले रही है ७० के दशक के पहले के भी प्रेम विवाहों में भी थोड़ी नाराजगी के बाद माँ बाप ,साँस ससुर मान जाते थे और अपने बच्चो की ख़ुशी को अपना लेते थे |आज बड़े शहरों में भी अंतरजातीय प्रेम विवाहों को परिवारों का समर्थन मिल रहा है |किन्तु जिस तरह से आज प्यार के नाम पर हत्याए हो रही है उसका कितना सच ?सामने आता है ?उसके पीछे क्या है शायद पूरा सच नहीं जान पाते हम |आज ये भी सच है की जितना जिस चीज का विरोध किया जाता है वो उतना ही बढ़ता जाता है जैसे दहेज के विरोध ने दहेज को ही बढ़ावा दिया है ,७० के दशक की होने वाली शादियों में कितनी सादगी थी |आज प्रेम विवाह वाली शादी में भी कितना आडम्बर है |मुझे याद है सन ७३ में अनाज की कमी के चलते शादियों में १०० लोगो से ज्यदा को भोजन पर शासकीय पाबंदी थी और इसका पूरी तरह से पालन किया जाता था |कितने ही माता पिता आज ये सोचते है की उनके बच्चे अपने जीवन साथ खुद चुन ले जिससे वो अपना जीवन अच्छी तरह जी सके |<br />दीपकजी की बात से मै भी सहमतशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-47433334448239729572010-07-02T20:52:40.544+05:302010-07-02T20:52:40.544+05:30समस्या तो यही है कि जो लोग ये पोस्ट पढ़ रहे हैं उन...समस्या तो यही है कि जो लोग ये पोस्ट पढ़ रहे हैं उनको समझाने कि जरूरत ही नहीं जिनका समझाना चाहिए वो लोग इस पोस्ट तक पहुँच भीं नहीं रहे होंगे..दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-87490827008151954482010-07-02T20:10:08.406+05:302010-07-02T20:10:08.406+05:30Aap sahee hain!
Lekin Raj Bhatiya ji ne bhi baja f...Aap sahee hain!<br />Lekin Raj Bhatiya ji ne bhi baja farmaya hai!सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼https://www.blogger.com/profile/11282838704446252275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-34289149597535772242010-07-02T20:02:39.339+05:302010-07-02T20:02:39.339+05:30क्या हम प्यार के शत्रु हैं?
जी नहीं , बिल्कुल नही...क्या हम प्यार के शत्रु हैं?<br /><br />जी नहीं , बिल्कुल नहीं ।<br />लेकिन भाटिया जी की बात में भी दम है ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-6006871609711241642010-07-02T19:46:29.987+05:302010-07-02T19:46:29.987+05:30बेहद दुखदाई ! बदकिस्मती इस देश की !बेहद दुखदाई ! बदकिस्मती इस देश की !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-74529082360051658952010-07-02T18:39:17.633+05:302010-07-02T18:39:17.633+05:30आपने तो पूरा लेख ही लिख डाला जानवरों पर हम तो टिप्...आपने तो पूरा लेख ही लिख डाला जानवरों पर हम तो टिप्पणी तक नहीं करना चाहते !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-49350867108719124912010-07-02T18:31:23.018+05:302010-07-02T18:31:23.018+05:30अजब हाल है..अफसोस होता है देख सुन कर.अजब हाल है..अफसोस होता है देख सुन कर.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-61369134719814340262010-07-02T17:32:52.924+05:302010-07-02T17:32:52.924+05:30अपने प्यार के लिए हर कोई जमीन आसमान एक कर देता है,...अपने प्यार के लिए हर कोई जमीन आसमान एक कर देता है, लेकिन दूसरों के मामले में ज्यादातर लोग विरोधी बन जाते हैं। यही हमारे समाज का दोगलापन है।<br />………….<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">दिव्य शक्ति द्वारा उड़ने की कला।</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं? </a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-75946859586656360332010-07-02T16:28:13.816+05:302010-07-02T16:28:13.816+05:3070 ke dashak mein pyar karne walon ki shayad itni ...70 ke dashak mein pyar karne walon ki shayad itni sankhya n thi shiksha ka prasar evam prachar bhi kam tha log shedhe sade the, isliye kahin n kahin maa baap paseez hi jate the.<br />kintu aaj ki tareekh mein pyar karne walon ki tadaat itni achanak badh gayi hai ki jise dekh kar mahsoos hota hai ki ye log pyar karte bhi hain ya sirf vasnayukt akarshan mein jhuke huye hain. kuch to safal ho jate hain akal aane par kintu kuch dhokebaji mein uttar aate hain. aur kuch ke saath haadse ho jaate hain. hatya premi yugal ki ho ya kisi anya prani matr ki jaghanya apraadh hai.<br />iski ninda hi nahi kintu swyam ese logo ko fansi par chadha dena chahiye jo hatya me sanlipt hon.<br />payar karne waalon ko pyar ki dictionary theek se padhni chahiye taki vastav mein ve pyar kar sakein aur dunia unka saath de sake.<br /> yon to bhart varsh mein sadiyon se prem vivah hote aye hain inhein gadharv vivaah kahte hain. Raja dushyant aur Shakuntala ne bhi pyar kiya aur gandharv vivaah ke paschaat hi unki santaan hui jiska naam Bhaarat tha . Isi vyakti ke naam se aaj is desh kaa naam bhi bharvarsh hai.गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-28891678005273757802010-07-02T16:16:21.859+05:302010-07-02T16:16:21.859+05:30घुघूती जी,
मुझे भी हमेशा आश्चर्य होता है,राम-सीता,...घुघूती जी,<br />मुझे भी हमेशा आश्चर्य होता है,राम-सीता, राधा-कृष्ण, <br /> शिव-पार्वती के प्रेम को पूजने वाला, लैला -मजनू...हीर-रांझा के किस्से सुन मुग्ध हो जाने वाला , लव-स्टोरी पर आधारित हर फिल्म को सुपर हिट बनाने वाले हमारे देशवासी ,अपने घर की बात आने पर एकदम दूसरा रूप अख्तियार कर लेते हैं. क्या हमारा पूरा देश दोहरा व्यक्तित्व जीता है?<br />आज खाप पंचायत की कारस्तानी सबकी जुबान पर है. टी.वी. ने उनकी कारगुजारियों से सबको अवगत कराया पर ये डर भी लगता है...ये सब देख दूसरे जगहों के लोग भी ना उतारू हो जाएँ, वालों को यही अंजाम देने को. और शुरू भी हो गया है...बिहार ..यू.पी. में तो खाप पंचायत नहीं है...पर सजा वही मुक़र्रर है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-39383180629900472942010-07-02T15:42:22.847+05:302010-07-02T15:42:22.847+05:30This comment has been removed by the author.ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-62954858838401398062010-07-02T15:18:31.825+05:302010-07-02T15:18:31.825+05:30खुन खराबा तो गलत बात है, ओर वो भी अपने बच्चो का......खुन खराबा तो गलत बात है, ओर वो भी अपने बच्चो का.... लेकिन प्यार किस चिडिया का नाम है, क्या यह बच्चे जानते है? क्या सेक्स रुपी प्यार के लिये इतने लोगो को रुसवा करना,क्या प्यार है, जिस का बुखार शादी करते ही उतर जाता है... प्यार... प्रेमी... प्रेमिका आज भारत मै हर कालेज मै हर ओफ़िस मै मिलने लगे है... अगर यह लोग इतने ही प्यार करने वाले है तो क्यो मां बाप को धक्के खाने के लिये अकेले छोड देते है, क्यो उन की ज्यादाद तो हडप लेते है, लेकिन बिमार मां बाप इन्हे बोझ लगते है... जिस के दिल मै प्यार होता है वो जानवर को भी दुख नही पहुचाता... यह नही जानते प्यार क्या है.....राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-38507544388966745602010-07-02T14:53:22.140+05:302010-07-02T14:53:22.140+05:30पता नहीं अपना खून कैसे बहा लेते हैपता नहीं अपना खून कैसे बहा लेते हैsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.com