tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post4286593557911811981..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: त्याग या स्त्री के कैरियर की महत्वहीनता?ghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger40125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-24043343554193527262015-12-12T09:19:50.065+05:302015-12-12T09:19:50.065+05:30Santosh Arya has left a new comment on your post &...Santosh Arya has left a new comment on your post "त्याग या स्त्री के कैरियर की महत्वहीनता?": <br /><br />महिलाओ की परिस्थिति को आपने बहुत अच्छे से उजागर किया है। औरत ही हर इस्थिति में समझौता करती है। <br />zindagipalpal.blogspot.com <br /><br /><br /><br />Posted by Santosh Arya to घुघूतीबासूती at 4:38 p.m.<br />सॉरी,यह स्पैम में चला गया था .ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-90250456341586756442015-10-08T16:38:30.513+05:302015-10-08T16:38:30.513+05:30महिलाओ की परिस्थिति को आपने बहुत अच्छे से उजागर कि...महिलाओ की परिस्थिति को आपने बहुत अच्छे से उजागर किया है। औरत ही हर इस्थिति में समझौता करती है। <br />zindagipalpal.blogspot.com SANTOSH ARYAhttps://www.blogger.com/profile/09614455196660621028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-72793180124354592172014-07-31T13:05:46.657+05:302014-07-31T13:05:46.657+05:30ये सभी परिस्थितियां महिला को पहले से ही पता होंगी ...ये सभी परिस्थितियां महिला को पहले से ही पता होंगी पर जब इनको जानते हुए उन्होंने शादी की तो त्याग कैसा या तो वे पहले ही अपनी बात स्पष्ट रूप से कहती, और जब हाँ कर ही दी, तो जिम्मेदारियां तो उठानी ही होंगी, हाँ ऐसे पुरुष बिरले होते हैं, लेकिन आज की पीढ़ी में ये भी देखने मिल रहा है जो निश्चय ही सुखद हैRuchihttps://www.blogger.com/profile/17840818072893606896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-67959837035067807222014-07-25T15:00:32.187+05:302014-07-25T15:00:32.187+05:30जो सवाल उस महिला से करने थे वो तो आपने किए नहींऔर ...जो सवाल उस महिला से करने थे वो तो आपने किए नहींऔर यूं ही आपने और आपके पाठकों ने दोषारोपण भी कर दिया।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-1368325087901423412014-07-23T03:07:24.755+05:302014-07-23T03:07:24.755+05:30गौतम राजरिशी, पति पत्नी के माता पिता का ध्यान रखना...गौतम राजरिशी, पति पत्नी के माता पिता का ध्यान रखना या उनके लिए कुछ करना मुझे बहुत स्वाभाविक सा लगता है, त्याग सा नहीं. हाँ यदि वह करने के लिए किसी को अपनी जीवन शैली ही पूरी तरह बदलनी पड़े, अपना काम, अपनी पढाई लिखाई, नौकरी छोडनी पड़े, तो वह त्याग होगा.<br />मेरे माता पिता बहुत बार हमारे पास रहे. माँ अंतिम दो वर्ष हमारे पास थीं. किन्तु मेरे पति का मुझे इसमें सहयोग व सामाजिक रीतियों की दुहाई न देते हुए मेरा साथ देना मुझे सहयोग लगा त्याग नहीं. यदि उनके माता पिता हमारे साथ रहते तो भी यही सब स्वाभाविक रूप से होता.<br />हाँ, हमारे समाज में पत्नी के माता पिता को अपने माता पिता की तरह मानने वाले पुरुष बहुत कम हैं इसलिए जो ऐसा करते हैं उनके प्रति आदर का भाव आता है. उनके सहयोग को मेरा सलाम. आपके जीजाजी को भी मेरा सलाम.<br /><br />वैसे सेवा तो प्राय: बहुएँ या बेटियाँ ही करती हैं, बेटा या जवाई अधिकतर या तो सहयोग करते हैं या नहीं करते हैं. यदि वे भी सेवा करें तो सोने में सुहागा होगा.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-73135890459710076882014-07-23T00:57:33.366+05:302014-07-23T00:57:33.366+05:30मेरा उठाया हुआ सवाल भी शामिल था सो हम खुश हैं :) |...मेरा उठाया हुआ सवाल भी शामिल था सो हम खुश हैं :) | लेकिन जहाँ तक पुरुषों की बात है घुघुती मैम.... मेरे आस पास ऐसे कई पुरुष हैं जिन्होने ठीक उसी तरह का त्याग (वैसे ये शब्द ही गलत है इस संदर्भ में) दिया है जैसी कि हमेशा से हमारा समाज स्त्रियॉं से अपेक्षा करता है | मेरे बड़ी दीदी के पतिदेव एक तो ऐसे ही पुरुष, जहाँ मेरे घर में अल्जाइमर से घिरे मेरे पापा को अपने इकलौते बेटे की कमी महसूस नहीं होने देते | <br /><br />लेकिन स्पष्ट है कि ऐसे उदाहरण दुर्लभ हैं | वरना तो इस समाज में एक स्त्री द्वारा अपने ससुराल पक्ष के लिए "त्याग" किए जाने को एकदम से स्वाभाविक मान लिया गया है | कई बार तो सुनने में ये भी आ जाता है ऐसी स्त्रीयों के लिए कि "इसमें कौन सी बड़ी बात है,,,ये तो उसका कर्तव्य है " ....हाऊ आयरोनिकल ! गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-55495630251913590232014-07-23T00:51:53.043+05:302014-07-23T00:51:53.043+05:30Lekhika 'Pari M Shlok' , आभार.
घुघूतीबासूत...Lekhika 'Pari M Shlok' , आभार.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-19297759338937298482014-07-23T00:50:38.799+05:302014-07-23T00:50:38.799+05:30rashmi ravija, मेरे लिए उनके मामले में आधिकारिक रू...rashmi ravija, मेरे लिए उनके मामले में आधिकारिक रूप से कुछ कहना कठिन है सिवाय इसके कि मुझे डॉ क की इतनी मेहनत व प्रतिभा के बर्बाद जाने का बहुत दुःख है. नहीं चाहती कि ऐसा किसी अन्य के साथ हो. एक बात और. इतनी उच्च शिक्षा देने में हमारी सरकार का बहुत पैसा लगता है. सीटें भी सीमित होती हैं. जब एक को सीट मिलती है तो किसी अन्य को नहीं मिल पाती. जहाँ तक हो सके तो इस बहुमूल्य शिक्षा का सदुपयोग होना चाहिए.<br />स्त्रियों को भी अपने जीवन की डोर अपने हाथ में रखनी चाहिए.<br />जैसा कि मैंने कहा कि यदि देखभाल के लिए काम छोड़ने का कारण कोई अचानक हुई दुर्घटना या रोग होता तो अलग बात थी. किन्तु यहाँ तो यह स्थिति पहले से ही थी.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-43287819439163115442014-07-22T13:18:46.343+05:302014-07-22T13:18:46.343+05:30घनश्याम मौर्य जी,
तमाम शब्द कुछ अधिक नहीं हो गया?...घनश्याम मौर्य जी,<br /> तमाम शब्द कुछ अधिक नहीं हो गया? मेरे परिवार में तो अधिकाँश विवाह प्रेम विवाह ही हैं, हमारा भी. खैर हमारे विवाह की अंतिम परिणति क्या होगी देखना शेष है किन्तु मेरे सास ससुर का भी प्रेम विवाह था और ससुर को गुजरे ३१ वर्ष और सास को गुजरे २३ वर्ष हो गए. वह विवाह अनेक प्रेम विवाहों की तरह सफल था.<br />बिना अपेक्षाओं के जीवन शायद ही कोई जीता है. प्रेम विवाह में अपेक्षाएँ अधिक तो होती हैं किन्तु अपने चयन से तो सभी अधिक अपेक्षा रखते हैं चाहे वह पति पत्नी हो, मकान हो या सामान. दान में या विरासत में तो जो भी मिल जाए उससे काम चलाया जाता है. यह भी सच है की जो प्रेम विवाह करते हैं उनमें प्राय: इतना साहस होता है कि एक असफल विवाह को ढोने की बजाए वे सब विकल्प खत्म होने पर तलाक ले सकते हैं.<br />सच में जीवन का कोई एक फोर्मूला भी नहीं है. होता तो जीवन बहुत सरल हो जाता.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-68161835061902930752014-07-20T18:32:08.779+05:302014-07-20T18:32:08.779+05:30ऐसे पुरुष पत्नी के रूप में एक ट्रॉफी का चयन करते ह...ऐसे पुरुष पत्नी के रूप में एक ट्रॉफी का चयन करते हैं.जिसे अपने शेल्फ पर सजा सकें .आने जाने वालों, मित्रों, रिश्तेदारों सबको बता सकें . पर पत्नी से वही परम्परागत भूमिका निभाने की अपेक्षा की जाती है .<br />इस तरह की शादी को हाँ करने के लिए लड़कियों की कई मजबूरियाँ होती हैं .हो सकता है, उसे यह बात पता ही नहीं हो की शादी के बाद उसे दो ननदों की चौबीसों घंटे देखभाल अक्रनी पड़ेगी .अरेंज मैरेज में ऐसी बातें लोग छुपा जाते हैं. rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-81930434675614852392014-07-20T10:55:32.061+05:302014-07-20T10:55:32.061+05:30मन को कुरेदनेवाली रचना मन को कुरेदनेवाली रचना Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-4983693954820335212014-07-19T20:47:06.805+05:302014-07-19T20:47:06.805+05:30Saty aur sathak lekh ....kuch baatein aisi bhi pad...Saty aur sathak lekh ....kuch baatein aisi bhi padne mili Jo Mann ko chu gyi ....ati uttamAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/01229721606335613058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-12730438789334149012014-07-17T22:27:24.392+05:302014-07-17T22:27:24.392+05:30विवाह का मतलब ही है परिवार बनाना ,और उसे बनाना किन...विवाह का मतलब ही है परिवार बनाना ,और उसे बनाना किन परिस्थतियों में होना है ये बात लड़की के माता-पिता पहले लगा लेते हैं उसके बाद अपना प्रस्ताव देते हैं.लड़की की रुचि का ध्यान वह स्वयं, अथवा माता पिता रखते या बता देते कि उसे आगे पढ़ना है और केरियर बनाना है .तो स्थिति कुछ और होती .<br />विवाह के बाद अपनी प्रबंधन -क्षमता से कुछ करना या उसी में रम कर रहना <br />-स्थिति का निर्वाह जैसे भी करे अपेक्षा गृहिणी से की जाती है. <br />अपने लिए परिवार तोड़ दे ,या उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा करे अन्यथा जो आ पड़ा उसका जितनी अच्छी तरह निर्वाह किया, उसका श्रेय लेकर खुश रहे.<br />जो कुछ पहले से विद्यमान है उसे बदला नहीं जा सकता. <br /> <br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-80944702288830026212014-07-17T15:31:26.462+05:302014-07-17T15:31:26.462+05:30समस्याएं अरेन्ज्ड मैरिज एवं लव मैरिज दोनों में ...समस्याएं अरेन्ज्ड मैरिज एवं लव मैरिज दोनों में विद्यमान हैं। अरेन्ज्ड मैरिज में लड़कियों के पास चयन के विकल्प ही नहीं होते। लव मैरिज में होते हैं लेकिन शायद लव मैरिज में दोनों की एक दूसरे के प्रति अपेक्षाएं कुछ अधिक ही होती हैं जिसकी वजह से तमाम लव मैरिज का अन्त तलाक के रूप में होता है। समस्याओं के कारण अनेक हैं, किन्तु कोई ऐसा फार्मूला या समाधान नहीं जो भिन्न-भिन्न परिवेश एवं परिस्थतियों में रहने वाले परिवारों में उपजी इस प्रकार की समस्याओं के समाधान के लिए एकसमान रूप से लागू किया जा सके।जीवन और जगत https://www.blogger.com/profile/05033157360221509496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-43942652859500274742014-07-17T05:56:34.151+05:302014-07-17T05:56:34.151+05:30पुरुष प्रधानता समाज की विरासत है । ये सही हैया गलत...पुरुष प्रधानता समाज की विरासत है । ये सही हैया गलत ये अलग प्रश्न है । ये स्थितियाँ व्यक्ति से व्यक्ति और परिवार से परिवार में अलग अलग होती हैं और आज के समय में इनका सामान्यीकरण करना सँभव नहीं है । हम बस ये कर सकते हैं कि वर्तमान पीढ़ी सहयोग करे और नई पीढ़ी को तैयार करे ताकि वो महिलाओं को इन समझौते वादी व्यवस्थाओं से उबरने में मदद कर सके।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-25204317759628074752014-07-16T23:54:16.940+05:302014-07-16T23:54:16.940+05:30कुलदीप ठाकुर जी आपका और नयी पुरानी हलचल का आभार.
घ...कुलदीप ठाकुर जी आपका और नयी पुरानी हलचल का आभार.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-38993050453863836032014-07-16T23:52:53.541+05:302014-07-16T23:52:53.541+05:30ब्लॉग बुलेटिन का आभार.
घुघूतीबासूतीब्लॉग बुलेटिन का आभार.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-12638401096287131572014-07-16T23:17:44.980+05:302014-07-16T23:17:44.980+05:30स्त्री ने भी विवाह बाध्यता में तो न किया होगा। उनक...स्त्री ने भी विवाह बाध्यता में तो न किया होगा। उनका भी अपना चयन रहा होगा। अपनी मर्जी रही होगी। मेरे विचार से तो स्त्री का कामकाजी होना उसकी जिम्मेदारियाँ दोहरी तिहरी कर देता है जिनके बोझ तले उसकी सारी सुकुमारता और ख़ुशी स्वाहा हो जाती है।जीवन के पूर्ण संतोष के स्थान पर उसे मात्र व्यावसायिक उपलब्धि का सुख मिलता है। मैं नहीं कहती कि यह महत्व-पूर्ण नहीं,और न ही यह सर्वकालिक सच है,पर चयन अपना अपना है। Parmeshwari Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/13942433781714760104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-8429173723349514762014-07-16T18:43:09.274+05:302014-07-16T18:43:09.274+05:30पारिवारिक जिम्मेदारियां महिलाओं को ही मजबूर करती ह...पारिवारिक जिम्मेदारियां महिलाओं को ही मजबूर करती हैं , उन्हें ही अपने कॅरियर का त्याग करना पड़ता है , पुरुष किसी न किसी बहाने बच ही जाता है , मजे की बात ये भी है कि यह व्यवस्था केवल भारतीय समाज में ही नहीं सारे विश्व में देखने को मिलती है dr.mahendraghttps://www.blogger.com/profile/07060472799281847141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-40479547458333065592014-07-16T17:33:53.223+05:302014-07-16T17:33:53.223+05:30व्यक्ति परिस्थिति के अनुकूल अपने को ढ़ाल लेता है। ...व्यक्ति परिस्थिति के अनुकूल अपने को ढ़ाल लेता है। यदि सिर्फ नारी और पुरूष के भेद से अलग, व्यक्तिपरक होकर देखा जाय तो तब यही समझ आता है कि MAN PROPOSES BUT GOD DISPOSES. सब कुछ प्रारब्ध में नियत है।गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-47213105410886704832014-07-16T14:18:48.321+05:302014-07-16T14:18:48.321+05:30if her career was not important for her then how w...if her career was not important for her then how will be it important for others <br />i am sure she must have had a marriage with dowry as well <br />why pay money to grooms family for what ???रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-3401467154548777922014-07-16T14:16:57.020+05:302014-07-16T14:16:57.020+05:30that is why she left the job because she could not...that is why she left the job because she could not manage , whether she knew it before marriage , parents would have said , groom is good , earning and you are educated TUM MANAGE KAR LENA pati ko samjhaa lena , maid rakh lena so on so forth <br />रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-46081421190860297022014-07-16T14:14:13.152+05:302014-07-16T14:14:13.152+05:30aur uskae vivaah naa karnae sae kyaa usko koi pare...aur uskae vivaah naa karnae sae kyaa usko koi pareshani hae , ho saktaa usko koi pareshani ho hi naa <br /><br />bas duniyaa kae swaal pareshaani kaa karan ho aur is liyae bhi wo kahin naa jaati ho <br /><br />vivaah itna jaruri kyun banaa diyaa gayaa haen <br /><br />ho saktaa haen salil ji ki behan us samay jitna kamati ho ladko ko utna naa mil rahaa aur apnae sae kam kamaane waale sae wo vivaah hi naa karna chahtee ho <br /><br />baat utar daitv sae hat kar bhi apni pasand aur jarurat ki hotii jisae sab nahin samjh saktae kyuki wo sab samaaj ji bandhi badhaii lakeer par chaltae haen रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-92062538557278976542014-07-16T13:56:37.122+05:302014-07-16T13:56:37.122+05:30Rachna , that would hold true if the family respon...Rachna , that would hold true if the family responsibility meant cooking and cleaning and doing work which can be done before and after office. Here I am talking about looking after someone for the whole day which cannot be done by remote even by a super woman.ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-58994225759173925862014-07-16T13:53:11.595+05:302014-07-16T13:53:11.595+05:30उस जमाने में भी बहुत से ऐसे पुरुष थे जिन्हें पत्नी...उस जमाने में भी बहुत से ऐसे पुरुष थे जिन्हें पत्नी के काम करने पर कोई आपत्ति नहीं थी. यह स्त्री किसी ऐसे पुरुष से विवाह कर सकती थी. और पति अपने पारिवारिक उत्तरदायित्वों को देखते हुए किसी नौकरी न करने वाली स्त्री से. न वह संसार का अंतिम पुरुष था न वह अंतिम स्त्री.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com