tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post3050013574330015279..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: स्त्री कहाँ सुरक्षित है? यदि अपने घर में नहीं तो फिर कहाँ?ghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger45125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-72269930695589595872009-03-26T20:37:00.000+05:302009-03-26T20:37:00.000+05:30आह! कितना दुखद है यह। ऐसे मुद्दे पर जागरूकता लानी ...आह! कितना दुखद है यह। ऐसे मुद्दे पर जागरूकता लानी जरूरी है। हर किसी को अपने स्तर से इस संबंध में सहयोग करना चाहिये।रविकांत पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14687072907399296450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-20995964228453247632009-03-26T10:52:00.000+05:302009-03-26T10:52:00.000+05:30ye tippani karke bhool jaane wala vishay nahi hai....ye tippani karke bhool jaane wala vishay nahi hai.. ise gaanth baandh liya gaya hai..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-18387200394102553222009-03-26T04:43:00.000+05:302009-03-26T04:43:00.000+05:30इस पर दुख करने से कुछ न होगा। क्रोध आता है इस पर। ...इस पर दुख करने से कुछ न होगा। क्रोध आता है इस पर। न्यापालिका का सम्मान तो हमें करना चाहिये परन्तु ऐसे मामले तो विधि सम्मत न्याय की सीमाओं से भी दूर हैं। बस यह जान लिया जाय कि ऐसा अपराधी कहीँ मानसिक रूप से विक्षिप्त तो नहीँ (वास्तव में), यदि नहीँ तो उसे ऐसी सजा और उस सजा का अधिकाधिक प्रचार होना चाहिये, जिस इस प्रकार के जघन्य कृत्य तो क्या उनकी कल्पना भी सिहरन पैदा कर दे।<BR/><BR/>इसके भी आगे इन अपराधों के मूल का विश्लेषण भी चाहिये और यह भी कि समाज की कौन सी ऐसी विषमताएं, अनपेक्षित महत्वाकांक्षाएं है जो ऐसे अमानुषिक व्यवहार की पृष्ठभूमि बनाती हैं और क्या इन मूल विसंगतियों निवारण सम्भव है अब? जब तक हमारे विचारों और कृत्यों में भी उच्च जीवन मूल्यों का परिलक्षण नहीँ होगा, इस प्रकार की विषमताएं व इनके आधारभूत कारण बने ही रहेंगे।<BR/>अन्य टिप्पणियों के साथ ही मैं द्विवेदी जी व पूजा जी, भाटिया जी की टिप्पणियों से भी सहमत हूँRajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-21946677238743154412009-03-25T17:34:00.000+05:302009-03-25T17:34:00.000+05:30पुनः आया तो बहुत ज्ञानार्जन हुआ ! मुझे एक लेख की य...पुनः आया तो बहुत ज्ञानार्जन हुआ ! मुझे एक लेख की याद है जिसमें अगम्यागम्य (इन्सेस्ट ) मामलों का प्रतिशत १ फीसदी से भी कम बताया गया था और जो रिपोर्ट नहीं होते उन्हें इससे भी कम बताया गया था -इसलिए ऐसे असमान्य व्यवहार जो कि निश्चित रूप से दंडनीय हैं हमें हमारे पूरे समाज के प्रति निराश नहीं करते ! मैंने अपनी टिप्पणी में इसी बात को रेखांकित करना चाहा था ! <BR/>मगर दुःख है लोगों को केवल अपनी कहे की पडी है ! <BR/>ईश्वर उन्हें प्रशांति दे ताकि समाज की सरंचना में उनका सार्थक योगदान सुनिश्चित हो सके !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-71358652240017956252009-03-25T13:52:00.000+05:302009-03-25T13:52:00.000+05:30सबसे दुखद बात ये है की कई पुलिस थाने हिम्मत करके र...सबसे दुखद बात ये है की कई पुलिस थाने हिम्मत करके रपट लिखवाने आई माँ को धमका कर वापस भेज देते है ..मुझे किसी ने बताया है की "इन्सेस्ट" पर भारत में कोई स्पष्ट कानून नहीं हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-7497636492484396642009-03-25T12:53:00.000+05:302009-03-25T12:53:00.000+05:30समाज के सामने कई सवालों को उठाता एक सारगर्भित आलेख...समाज के सामने कई सवालों को उठाता एक सारगर्भित आलेख...लाजवाब !!<BR/>__________________________________<BR/>गणेश शंकर ‘विद्यार्थी‘ की पुण्य तिथि पर मेरा आलेख ''शब्द सृजन की ओर'' पर पढें - गणेश शंकर ‘विद्यार्थी’ का अद्भुत ‘प्रताप’ , और अपनी राय से अवगत कराएँ !!KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-62465730616879061572009-03-25T00:53:00.000+05:302009-03-25T00:53:00.000+05:30घुघुती जी,भारत क्या ऎसे केस पुरी दुनिया मै होते है...घुघुती जी,भारत क्या ऎसे केस पुरी दुनिया मै होते है,ओर ऎसा करने वाले दिमाग से सही नही होते, वरना ऎसा गन्दा काम कोन करता होगा, अपने ही बच्चे के संग ... ल्र्किन ऎसे मामलो मै हम पुरे समाज को दोषी तो नही कह सकते, क्योकि इस समाज मै ऎसे भी लोग है जो दुसरो की बेटियो की इज्जत बचाने के लिये अपनी जान भी दे देते है, लेकिन ऎसे मामले बहुत ही घृणित होते है, इन्हे इन्सान कहना भी भला नही लगता.लेकिन कोई कया कर सकता है ऎसे बिमार लोग हम सब के बीच इसी समाज मे छिपे है.क्या पुलिस मदद करेगी? क्या कोई समाज सेवा मदद करेगी? कोई टीचर मदद करेगा..... नही इन मै तो ओर भी बहुत ज्यादा भेडिये छिपे है, मदद एक ही तरह हो सकती है जब पुरा परिवार मिल कर रहे , दादा दादी, चाचा, सभी तो ऎसे केस शायद ही हो, ओर बच्चे अपने दिल की बात दादी दादा को मां को अपने वाप को बता सके, अपने दोस्त बना सके इन सब को, यौन शिक्षा तो पुरे युरोप मै दी जाती है, लेकिन सब से ज्यादा ऎसे केस इस युरोप मै ही होते है, इस लिये यह यौन शिक्षा भी इस का उपचार नही,सिर्फ़ ओर सिर्फ़ चरित्र ओर चरित्र निरमान ही एक उपाय है .ओर हम सब को आज इस चरित्र निरमान की शिक्षा की बहुत जरुरत है.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-7498414975133191302009-03-25T00:42:00.000+05:302009-03-25T00:42:00.000+05:30सवाल यह नहीं है कि इससे पहले ऐसी घटनाएं हुई या नही...सवाल यह नहीं है कि इससे पहले ऐसी घटनाएं हुई या नहीं, सवाल यही है जो कि इस पोस्ट के शीर्षक में लिखा है।<BR/>यह वाकई विचारणीय बात है कि क्यों स्त्री सिर्फ़ और सिर्फ़ इस संदर्भ में उपयोग की जाने वाली वस्तु बनकर रह जाती है <BR/>वहां भी जहां एक पवित्र रिश्ते से जुड़ी होती है।<BR/><BR/>वाकई विचारणीयSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-87874515944011923252009-03-24T21:47:00.000+05:302009-03-24T21:47:00.000+05:30पूजा से सहमत ..पर मुझे आश्चर्य है लोग कैसे कहतें ह...पूजा से सहमत ..पर मुझे आश्चर्य है लोग कैसे कहतें हैं की इस एक मात्र घटना के लिए चिंतित होने की आवश्यकता नही. उन्हें बता दूँ यह पहली बार नही है जिन्हें इससे पहले की घटनाओं डिटेल चाहिए मुझसे संपर्क करें.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-24835388364768010702009-03-24T21:19:00.000+05:302009-03-24T21:19:00.000+05:30मन बडा दुखित हुआ...और ये भी पक्का है कि गिने चुने ...मन बडा दुखित हुआ...और ये भी पक्का है कि गिने चुने मामले ही सार्वजनिक होते हैं.<BR/><BR/>महा निंदनिय राक्ष्सी कॄत्य करने वालों को सजाये मौत दी जानी चाहिये जिससे दूसरों को कुछ सबक मिले.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-63841325541489731402009-03-24T20:16:00.000+05:302009-03-24T20:16:00.000+05:30कोई भी टिपण्णी करने कि स्थिति नहीं है.कोई भी टिपण्णी करने कि स्थिति नहीं है.ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-33929106544803195232009-03-24T18:47:00.000+05:302009-03-24T18:47:00.000+05:30क्या अब भी हम हर गलत चीज के लिए विदेशियों को कोसत...क्या अब भी हम हर गलत चीज के लिए विदेशियों को कोसते रहेंगे...जब हमारे घर में ही ऐसा हो रहा हैRuchika Sharmahttps://www.blogger.com/profile/01901713115488409912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-20256335648276507982009-03-24T16:58:00.000+05:302009-03-24T16:58:00.000+05:30परस्पर सुरक्षा के भाव से ही परिवार है । ऐसे मामलों...परस्पर सुरक्षा के भाव से ही परिवार है । ऐसे मामलों में शिकायत की गुंजाइश भी नहीं रह जाती । परिवार की 'इज्जत' के नाम पर कुकर्म छुपा रह जाता है । शिकार बच्चियां कहां जाएं ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-10065364771530217552009-03-24T16:55:00.000+05:302009-03-24T16:55:00.000+05:30ONE SWALLOW DOES NOT MAKE A SUMMER- DONT MAKE AN E...ONE SWALLOW DOES NOT MAKE A SUMMER- DONT MAKE AN EXCEPTION AS A RULE.चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-71212092196842739702009-03-24T16:20:00.000+05:302009-03-24T16:20:00.000+05:30यह मुझे बहत घृणित लगता है।मानव में आसुरिक गर्त की ...यह मुझे बहत घृणित लगता है।<BR/>मानव में आसुरिक गर्त की और दैवीय चरमोत्कर्ष की कोई सीमा नहीं है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-76850286281950054362009-03-24T15:47:00.000+05:302009-03-24T15:47:00.000+05:30पिता और पुत्री का संबंध दुनिया का सबसे पवित्र रिश्...पिता और पुत्री का संबंध दुनिया का सबसे पवित्र रिश्ता है। गंदे से गंदे लोग भी इस रिश्ते का लिहाज करते हैं। जो बाप के रिश्ते को कलंकित कर सकता है, वह इंसान है ही नहीं। ऐसे पाशविक लोगों के लिए पाशविक दंड विधान होने चाहिए। सरेआम फांसी दे देनी चाहिए, पत्थर मार-मार कर जान ले लेनी चाहिए, या ऐसा ही कुछ। क्योंकि जो अपनी बेटी के लिए खतरनाक है, वह दुनिया की सारी बेटियों के लिए खतरनाक है।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-19891243545339793082009-03-24T15:45:00.000+05:302009-03-24T15:45:00.000+05:30Its only 9 years. In Austria Fritzl did the same f...Its only 9 years. In Austria Fritzl did the same for 24 years and he has fathered seven children (six are alive, one dead) and in turn he has got life imprisonmentबातूनीhttps://www.blogger.com/profile/03153492616056871967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-61847087281609791202009-03-24T15:42:00.000+05:302009-03-24T15:42:00.000+05:30शायद यह अपराध उन अपराधों की श्रेणी में आता है जहाँ...शायद यह अपराध उन अपराधों की श्रेणी में आता है जहाँ संसार का कोई भी कानून पर्याप्त या उपयुक्त सजा नहीं दे सकता।Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-56713259530397541532009-03-24T14:17:00.001+05:302009-03-24T14:17:00.001+05:30aisi ghatanaen padh kar, man kaisa ho jaata hai, l...aisi ghatanaen padh kar, man kaisa ho jaata hai, likha nahi jaa sakta, magar ye mansik beemar hi hote hai.n aur kuchh nahiकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-88298309270170473242009-03-24T14:17:00.000+05:302009-03-24T14:17:00.000+05:30ऐसा ही दरिंदा पंजाब में भी था, जिसने अपनी तीन बेटि...ऐसा ही दरिंदा पंजाब में भी था, जिसने अपनी तीन बेटियों के साथ अवैध संबंध बनाकर इंसानियत को सालों साल शर्मिंदा किया. पिता बेटी के रिश्ते का पल पल खून कियाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-2828924248132239772009-03-24T13:33:00.000+05:302009-03-24T13:33:00.000+05:30bhai santosh ji ki tipni chokane wali hai. jaise k...bhai santosh ji ki tipni chokane wali hai. jaise koi pita apni santan ko gaali de raha ho.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-51533122079485663842009-03-24T13:25:00.000+05:302009-03-24T13:25:00.000+05:30Aise ghatnao ke baare mai dekh-sun ke vakai bahut ...Aise ghatnao ke baare mai dekh-sun ke vakai bahut afsos hota hai...<BR/><BR/>aisa karne walo ko kari saja milni hi chahiye...Vineeta Yashsavihttps://www.blogger.com/profile/10574001200862952259noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-19336973949465098132009-03-24T13:22:00.000+05:302009-03-24T13:22:00.000+05:30बेहद शर्मनाक, यह बात दिखाती है कि समाज का किस हद त...बेहद शर्मनाक, यह बात दिखाती है कि समाज का किस हद तक नैतिक पतन हो गया है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/00762890446664917485noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-60234240305176527092009-03-24T13:09:00.000+05:302009-03-24T13:09:00.000+05:30बहुत शर्मनाक बात है ...गुनहगारों को कड़ी से कड़ी स...बहुत शर्मनाक बात है ...गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-89021031770614412092009-03-24T12:44:00.000+05:302009-03-24T12:44:00.000+05:30घटना से ज्यादा भयावह ये बात है कि लड़की के माता पित...घटना से ज्यादा भयावह ये बात है कि लड़की के माता पिता को इस बात का कोई पछतावा नहीं है. उन्हें कोई शर्म नहीं है कि उन्होंने ऐसा घृणित कार्य किया...यही नहीं तांत्रिक का भी कहना है की वह अपने बेटे की शादी छोटी लड़की से कर देगा, बड़ी लड़की से नहीं करने की बात पर उसने कहा "she is too used, i myself have raped her atleast 50 times" . और घुघूती जी, कल की खबरें पढ़ कर लगा की ये सब पैसे नहीं कुत्सित मानसिकता के लोगो का किया व्यभिचार है, बिसनेस में फायदे की बात तो बस मूल मुद्दे से भटकने के लिए था...बाकी details जो मैंने पढ़ी...मुझे लिखने में शर्म आती है. <BR/>और ऐसी घटनाएं पहले भी हुयी हैं, बस प्रकाश में नहीं आ पाई हैं. आजकल मीडिया लोगो की पहुँच में है तो ऐसी खबरें मिल रही है...पर क्या न्याय मिलेगा? हम जिन विकसित देशों की बात कर रहे हैं वहां भी ऐसा घृणित कार्य करने वाले पिता को कितना मामूली दंड मिला है...कानून में फांसी "rarerst of the rare" केस के लिए होती है, कम से कम ऐसे हालत में तो न्याय होना चाहिए और जल्दी होना चाहिए ताकि बाकी लोगो में कुछ तो डर हो. <BR/>स्कूल में हमारे शिक्षक क्या इस भरोसे के लायक हैं कि उनको घर की पीड़ा बताई जा सके...जिस तरह से समाज दरक रहा है, कौन सी ईकाई है जिसपर विश्वास किया जा सकता है?Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.com