tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post1936853947734444686..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: ' खूब पुन्न कमाएगी तू तो!'ghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-91069308893920580722009-02-20T02:31:00.000+05:302009-02-20T02:31:00.000+05:30लगता है ऐसी ही दुआएं मुझे भी मिलती होंगी, तभी तो य...लगता है ऐसी ही दुआएं मुझे भी मिलती होंगी, तभी तो यह <A HREF="http://bspabla.blogspot.com/2009/01/blog-post_16.html" REL="nofollow"> आग की लपटों वाली पोस्ट</A> लिखी थीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-37697006814367658852009-02-13T22:20:00.000+05:302009-02-13T22:20:00.000+05:30श्री चिपलूनकर का आलेख और उस पर टिप्पणियाँ मैंने पढ...श्री चिपलूनकर का आलेख और उस पर टिप्पणियाँ मैंने पढीं थी कितनी अजीब बात है कि कुछ लोग प्रोफेसर साहब को "पुण्य" पर विश्वास करने की नसीहत दे रहे थे और "वास्तु" पर उनके विश्वास पर उन्हें मूर्ख भी कह रहे थे ! उस प्रकरण में मेरा मानना था कि कुआं बंद करने को लेकर प्रोफेसर साहब के अपने तर्क , अपने कारण जरुर रहे होंगे , इसलिए उनका पक्ष सुने और जाने बगैर टिप्पणी कैसी ? <BR/>वैसे पुण्य कमाऊ लोग अगर चाहते तो प्रोफेसर साहब से चर्चा करते ! कुँए में एक सबमर्सिबल पम्प डालते और जमीन में गहराई से एक पाइप लाइन बिछा कर उस दिशा में बाहर निकालते जहाँ से पानी की निकासी , प्रोफेसर साहब और उनके वास्तुविद के विश्वास के अनुकूल होती ! इसके बाद ऊपर से कुँआ बंद कर दिया जाता ! प्रोफेसर साहब की इच्छा भी पूरी हो जाती और भीषण जल संकट से त्रस्त मुहल्ले वालों को सबमर्सिबल पम्प और बिजली के स्वयं के नियमित सामूहिक खर्चे पर पानी भी मिलता रहता ! हो सकता है कि ये सिर्फ़ मेरा वहम हो कि प्रोफेसर साहब इस विकल्प को मान लेते ! पर पुण्य की आकांक्षा रखने वालों ने कोई और विकल्प खोजा हो ऐसा भी नही लगता !<BR/>मुहल्ले के लोग पानी भी चाहते हैं और वो भी अपनी शर्तों का "विश्वास" ( पुण्य) प्रोफेसर पर थोप कर ,तो ये जायज़ कैसे है ! <BR/><BR/>खैर ... मैं कह रहा था कि मैंने उस आलेख पर टिप्पणिया पढ़ी और आपके आलेख पर भी पढ़ चुका हूँ ! आपने भी जरूर पढ़ी होंगी ?<BR/><BR/>मुझे आपके ख्याल सहज और स्वाभाविक लगे ! इसीलिये लेख भी खूबसूरत है ! कोई ढोंग ,कोई पाखंड नहीं ! कोई आलेखीय स्टंट भी नहीं ! मैं आपकी साफगोई के लिए साधुवाद कहता हूँ ! और हाँ कृपया इसे मेरा ईमेल समझियेगा , टिप्पणी नही ! आदर सहित !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-68403744882648595112009-02-13T19:12:00.000+05:302009-02-13T19:12:00.000+05:30घुघूती जी का धन्यवाद कि उन्होंने अपनी टिप्पणी के ज...घुघूती जी का धन्यवाद कि उन्होंने अपनी टिप्पणी के जरिये मेरी एक बड़ी गलती को सुधार दिया - मैंने और शब्द अनजाने में प्रयोग किया था जो मुझे नहीं करना चाहिये था। मैंने लेख की अपनी गलती सुधार ली है और यह सबक भी लिया है कि आगे से पोस्ट पब्लिश करने से पहले कम से कम दो बार पढूंगा। (यह मैं अपने कमेन्ट देने के बाद {घुघूती जी के कमेन्ट के बाद लिख रहा हूं}) एक बार पुन: उन्हें धन्यवाद.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-84850586188703231062009-02-13T09:57:00.000+05:302009-02-13T09:57:00.000+05:30ये फूलों वाली समस्या तो हमारे साथ भी थी, बड़े जतन ...ये फूलों वाली समस्या तो हमारे साथ भी थी, बड़े जतन से फूल लगाते थे और पड़ोसी कब आकर अपनी पूजा के लिये तोड़ जाते पता ही नही चलता था।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-8717980764193670572009-02-12T23:55:00.000+05:302009-02-12T23:55:00.000+05:30सांच कहो तो मारन दौडे-यही निष्कर्ष देती है आपकी य...सांच कहो तो मारन दौडे-यही निष्कर्ष देती है आपकी यह रोचक और प्रवाहमयी पोस्ट। लगा, आप मेरी ही नहीं, सब पर गुजरी हुई कथा कह रही हैं।<BR/>आपके कर्मों का फल लोग तय करते हैं, ऐसे अधिकारपूर्वक मानो वे सीधे वहीं से आ रहे हैं जहां आपके जाने की सूचना दे रहे हैं।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-89193287074409642272009-02-12T22:25:00.000+05:302009-02-12T22:25:00.000+05:30बहुत ही सही बात कही आप ने, लेकिन कई बार आसपडोस मे ...बहुत ही सही बात कही आप ने, लेकिन कई बार आसपडोस मे जिन से मिलना जुलना रहता है, ओर जो इस सुबिधा को एक उपहार मानते है, उस समय यह गलत नही हमारे घर मे भी हेडं पम्प है ओर आसपास के सभी लोग हमारे यहा गर्मियो मे पानी लेने आते है, ओर जब गेट खुला हो तो ही अन्दर आते है, दोपहर कॊ कोई नही आता, गन्दगी भी कोई नही डालता, ओर बत्मीजी का तो सवाल ही नही, <BR/>लेकिन आप का लेख पढ कर सच मै मुझे हेरानगी हुयी कि आप तो लोगो का भला कर रही है, ओर लोग उलटे....इस से अच्छा तो सब बन्द ही कर दो, ओर लोगो को खुद ही अहसास होगा.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-37440623987518122812009-02-12T20:34:00.000+05:302009-02-12T20:34:00.000+05:30मेरी अत्यन्त निजी कामना रही है है कि कोई मुझसे इस ...मेरी अत्यन्त निजी कामना रही है है कि कोई मुझसे इस तरह का झगड़ा मोल ले और फ़िर मैं अपना गुस्सा तसल्ली से निकल सकूँ. बचकानी बात है मगर सच है. मगर अफ़सोस कि ऐसा आजतक हुआ नहीं है. मुझे हैरानी होती है कि लोग कैसे अपना गुस्सा जज्ब कर लेते हैं.महेनhttps://www.blogger.com/profile/00474480414706649387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-3347887874336525772009-02-12T20:22:00.000+05:302009-02-12T20:22:00.000+05:30सुरेश जी का पोस्ट मैने भी पडा था....पर उन्होने य...सुरेश जी का पोस्ट मैने भी पडा था....पर उन्होने ये तो कहीं नहीं लिखा है कि कुंए में होनवाली भीड के कारण उक्त महोदय परेशान थे.....उन्होने तो वास्तुशास्त्री के कहने पर कुएं को बंद करवाया था.....और आपने जो लिखा है ......ऐसी परेशानी के दौर से हमलोगों ने बहुतों को गुजरते देखा है.....आपका कहना बिल्कुल सही है।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-34772561769591212322009-02-12T16:35:00.000+05:302009-02-12T16:35:00.000+05:30बहुत बढिया । पाप -पुण्य की परिभाषा देश काल और परिस...बहुत बढिया । पाप -पुण्य की परिभाषा देश काल और परिस्थिति के मुताबिक बदलती रहती हैं । मन मुताबिक हो तो पुण्य ,विपरीत हो जाए तो पाप ....।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-18757673235222433922009-02-12T16:22:00.000+05:302009-02-12T16:22:00.000+05:30क्या करती हैं आप...बाप रे बाप इतना बड़ा पाप :D इस ...क्या करती हैं आप...बाप रे बाप इतना बड़ा पाप :D इस समस्या से हम भी गुजर चुके हैं. अच्छा लगा सरल सी ये आपबीती पढ़ना :)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-11464948542988901452009-02-12T15:40:00.000+05:302009-02-12T15:40:00.000+05:30आपकी सहज अभिव्यक्ति का मुरीद हूं .आपकी सहज अभिव्यक्ति का मुरीद हूं .Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-27957146499756294352009-02-12T15:13:00.000+05:302009-02-12T15:13:00.000+05:30सुरेश भाई को तो पढ़ा नहीं, अब पढ़ना पड़ेगा.आप लिखा पढ़...सुरेश भाई को तो पढ़ा नहीं, अब पढ़ना पड़ेगा.<BR/><BR/>आप लिखा पढ़ने कर काफी विचारा और अच्छा लगा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-23099307857114831892009-02-12T14:37:00.000+05:302009-02-12T14:37:00.000+05:30आपके अनुभवों की बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति थी. हमें ...आपके अनुभवों की बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति थी. हमें लग रहा था शायद हम ही झेल रहे थे. ऐसे मौके हमें भी आते रहे हैं. आभार.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-3589907043582592332009-02-12T14:26:00.000+05:302009-02-12T14:26:00.000+05:30जिसको जो आसानी से सुविधा मिल जाए वह उसको अपना समझ ...जिसको जो आसानी से सुविधा मिल जाए वह उसको अपना समझ के उपयोग करता है ..फ़िर कहाँ दूसरो के बारे कोई सोचता है ..अच्छा लिखा आपनेरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-66517348149181116022009-02-12T13:17:00.000+05:302009-02-12T13:17:00.000+05:30apne seedhe aur saral andaaz mai aapne bilkul sahi...apne seedhe aur saral andaaz mai aapne bilkul sahi baat likhi hai...Vineeta Yashsavihttps://www.blogger.com/profile/10574001200862952259noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-87684449353483482422009-02-12T11:40:00.000+05:302009-02-12T11:40:00.000+05:30दूसरों के घर से फूल तोड़ कर भगवान को चढाने वाली बा...दूसरों के घर से फूल तोड़ कर भगवान को चढाने वाली बात तो हमें भी समझ नही आती है ।<BR/><BR/>बड़े दिनों बाद आपको पढ़कर अच्छा लगा ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-57147710827673104102009-02-12T11:36:00.000+05:302009-02-12T11:36:00.000+05:30सच कहा आपने और बहुत खूब लिखा भी। सौजन्य का लाभ लोग...सच कहा आपने और बहुत खूब लिखा भी। सौजन्य का लाभ लोग यूं उठाते हैं जैसे ये उनका जन्मसिद्ध अधिकार है....अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-23654339908153262212009-02-12T11:24:00.000+05:302009-02-12T11:24:00.000+05:30आपका पोस्ट इतना सहज लगता है की बरबस मन खिचा आता है...आपका पोस्ट इतना सहज लगता है की बरबस मन खिचा आता है उसे पढने को. <BR/>आपकी रोजमर्रा की भाषा में एक रोचकता होती है जो आपके लेख से नाता जोड़ देती है.दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-32419686549875012592009-02-12T10:34:00.000+05:302009-02-12T10:34:00.000+05:30हमेशा की तरह सहज् भाव से लिखे गए आपके अनुभव पढ़ना ह...हमेशा की तरह सहज् भाव से लिखे गए आपके अनुभव पढ़ना हमेशा अच्छा लगता है..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-681562007781861572009-02-12T10:00:00.001+05:302009-02-12T10:00:00.001+05:30सही लिखा आपने।सही लिखा आपने।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-21973708949958876842009-02-12T10:00:00.000+05:302009-02-12T10:00:00.000+05:30सही लिखा आपने।सही लिखा आपने।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-31651518895527352412009-02-12T08:45:00.000+05:302009-02-12T08:45:00.000+05:30rochak anubhav,vaise sehmat hai aapke likhe se,pan...rochak anubhav,vaise sehmat hai aapke likhe se,pani dena buri baat nahi,magar log jaisa vyavahaar karte hai,bura lagta hai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-12801541785325963762009-02-12T08:28:00.000+05:302009-02-12T08:28:00.000+05:30तमाम अनुष्ठानों को लोग कोल्हू के बैल के तरह संपन...तमाम अनुष्ठानों को लोग कोल्हू के बैल के तरह संपन्न करते हुए पूरा जीवन काट देते हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-81945377508055721932009-02-12T08:09:00.000+05:302009-02-12T08:09:00.000+05:30एक बार यह कार्य हम भी कर चुके हैं. और आप समझ सकती ...एक बार यह कार्य हम भी कर चुके हैं. और आप समझ सकती हैं कि क्या हुआ होगा?<BR/><BR/>असल मे ये पानी का वितरण पुन्य से ज्यादा बाद मे उपयोगकर्ताओं का अधिकार बन जाता है. बहुत सुंदर लिखा आपने.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-88148372071122851822009-02-12T07:44:00.000+05:302009-02-12T07:44:00.000+05:30दी गई सुभिधा को लोग अधिकार मान लेते है . एक कहावत ...दी गई सुभिधा को लोग अधिकार मान लेते है . एक कहावत इन्ही लोगो के कारण बनी नेकी कर गाली खा . और कोई कष्ट हम को न हो सयाने कह गए है नेकी कर दरिया मे डालdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com